पिता ने किराने की दूकान पर काम कर बिटिया को पढ़ाया, बेटी ने भी IAS बनके बढ़ाया पिता का मान!
[Shweta Agarwal Biography In Hindi] यूपीएससी में सफलता हासिल करना हर एक UPSC की परीक्षा देने वाले प्रतियोगी का सपना होता है। लेकिन इनमें से कुछ ही अपने इस सपने को पूरा कर पाते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे एक ऐसी आईएएस अधिकारी के बारे में जिन्होंने अपनी मनचाही रैंक हासिल करने के लिए 3 बार यूपीएससी की परीक्षा दी और उन्हें जब तक सफलता नहीं मिली वो रुकी नहीं।
पश्चिम बंगाल के हुगली की श्वेता अग्रवाल (Shweta Agarwal) का जन्म 28 लोगों के एक संयुक्त परिवार में हुआ था। जब श्वेता का जन्म हुआ था उस समय उनके माता-पिता तो खुश थे, लेकिन उनके परिवार के अन्य सदस्य को बेटे की ख्वाहिश थी। वे एक ऐसे मारवाड़ी परिवार से आती हैं जहां लड़कियों को पढ़ाया-लिखाया नहीं जाता। उनके परिवार की सोंच काफी पुरानी थी। लेकिन इसके उलट श्वेता के माता – पिता को शिक्षा का महत्व पता था इसलिए उन्होंने श्वेता को पढ़ाने की ठानी।
श्वेता अग्रवाल (Shweta Agarwal) के माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उनके पिता किराने की दुकान में काम करते थे। लेकिन वो ये भी चाहते थे कि उनकी बेटी एक अच्छे से इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़े। इसलिए उन्होंने अपनी बेटी का नामांकन एक प्राइवेट स्कूल में कराया पर उस समय स्कूल की फीस 165 रुपए थी जो उन्हें जूता कर जमा करने में उन्हें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
श्वेता अग्रवाल (Shweta Agarwal) अपने परिवार की स्थिति से परिचित थीं इसलिए वे अपने रिश्तेदारों द्वारा मिले रुपयों को भी अपने माता-पिता को दे देती थीं। जिससे उनकी फीस भरी जा सके, उन्होंने उस उम्र में ही यह निश्चय कर लिया था कि घर की स्थिति को सुधारने के लिए उन्हें कुछ करना होगा और यह पढ़ाई के जरिए ही संभव है। श्वेता ने बारहवीं कक्षा में अपने विद्यालय में टॉप किया था, बारहवीं कक्षा के बाद उनके आगे पढ़ने के फैसले का उनके चाचा चाची ने काफी विरोध किया।
उनका मानना था कि वे आगे पढ़-लिख कर क्या करेंगी, आखिर अंत में तो लड़कियों को चूल्हा -चौका ही करना होता है। उनके इस रवैए के बाद श्वेता अग्रवाल (Shweta Agarwal) ने ठान लिया कि वे उन्हें कुछ बन कर दिखाएंगी। उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज से इकोनॉमिक्स विषय के साथ स्नातक किया एवं वहां की टॉपर भी रहीं। श्वेता अपने परिवार के 15 बच्चों में से पहली ऐसी थीं जो ग्रेजुएट हुईं।
स्नातक के बाद उन्होंने एमबीए किया। जिसके बाद एमएनसी में उन्हें एक अच्छे पद पर नौकरी मिल गई। लेकिन श्वेता अग्रवाल का मन नौकरी में नहीं लग रहा था। इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ यूपीएससी की तैयारी करने की ठानी। उन्होंने अपने एक साक्षात्कार में बताया था कि उनके घर के पास एक पुलिस चौकी थी और वे बचपन में जब भी पुलिस अधिकारियों को देखती थीं तो उन्हें भी खाकी वर्दी पहनने की इच्छा होती थी।
वे सोचती थीं कि एक दिन वो भी खाकी वर्दी जरूर पहनेंगी और अपने इसी बचपन के सपने को पूरा करने का मन में प्रण ले चुकी थीं। इसलिए अब वे जॉब छोड़ना चाहती थीं। लेकिन उनके इस फैसले पर उनके बॉस ने उनसे कहा था कि प्रत्येक वर्ष 5 लाख प्रतियोगी ये परीक्षा देते हैं और केवल 90 ही आईएएस बन पाते हैं इसपर श्वेता अग्रवाल (Shweta Agarwal) ने उनसे कहा था कि वे उन 90 में से ही एक बनकर दिखाएंगी।
इस तरह श्वेता अग्रवाल (Shweta Agarwal) जॉब छोड़ यूपीएससी की तैयारियों में लग गईं। उन्होंने अपने घर से 2 घंटे की दूरी पर एक कमरा लिया तथा एक कोचिंग संस्थान में अपना नामांकन करवाया। पर कोचिंग संस्थान की पढ़ाई से वो संतुष्ट नहीं थी, इसलिए उन्होंने खुद से पढ़ने का निर्णय किया। वर्ष 2011 में उन्होंने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी लेकिन उस समय वे तैयार नहीं थी।
अपने माता पिता के कहने पर उन्होंने इस बार परीक्षा दी थी। वे पहले से ही जानती थी कि वे इस बार सफल नहीं हो पाएंगी, लेकिन अगली बार यदि वे पूरी मेहनत से तैयारी करें तो वे जरूर सफ़लता प्राप्त कर सकती हैं। वर्ष 2013 में उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर श्वेता अग्रवाल (Shweta Agarwal) ने यूपीएससी में सफलता प्राप्त कर ली और उन्हें 493वीं रैंक मिला पर वो इससे संतुष्ट नहीं थी।
इसलिए उन्होंने वर्ष 2014 में पुनः प्रयास किया और इस बार उन्हें 141वीं रैंक मिली और इसके अन्तर्गत उन्हें आईपीएस के लिए चुना गया वे इससे खुश तो थीं। पर श्वेता अग्रवाल (Shweta Agarwal) के मन में अब आईएएस बनने की इक्षा थी इसलिए उन्होंने फिर से प्रयास करने का मन बनाया और वर्ष 2015 में उन्होंने एक बार फिर परीक्षा दी।
इस बार अपनी मेहनत एवं लगन के कारण उन्होंने 19वीं रैंक हासिल कर पुरे देश में टॉपर्स की सूचि में अपना नाम दर्ज करवा लिया और इसके साथ ही उन्होंने अब अपने आईएएस बनने के सपने को भी पूरा कर लिया था। यूपीएससी जैसी इस कठिन परीक्षा में जहां लाखों प्रतियोगी एक बार भी सफ़लता हासिल करने का सपना देखते हैं वहीं स्वेता ने 3 बार परीक्षा में सफलता हासिल कर एक मिशाल कायम किया।
सुनिए श्वेता अग्रवाल (Shweta Agarwal) की कहानी उन्ही की जुबानी!
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