Ponniyin Selvan: इंडिया के लीजेंड फिल्म मेकर मणिरत्नम की फिल्म पॉनिइन सेलवन का पहले पार्ट यानी PS 1 की अपार सफलता के बाद अब इस हिस्टोरिकल फिल्म का दूसरा पार्ट रिलीज कर दिया गया। इस फिल्म के पहले पार्ट पर फैंस ने भरसक प्यार लुटाया था।
(पॉनिइन सेलवन PS 2) रिलीज होने के बाद फैंस का उत्साह सातवें आसमान पर है। इस ऐतिहासिक फिल्म की जितनी बड़ी कहानी उस से कई गुना ज्यादा इसका बजट है और इस से कई सो गुना ज्यादा चोल साम्राज्य है। जिस पर इस फिल्म के दोनों पार्ट (PS1, PS2) आधारित है। चोल साम्राज्य का साउथ इंडिया समेत श्रीलंका, थाईलैंड और मलेशिया पर भी शासन था।
500 करोड़ का मेगा बजट में बनी है ये फ्रेंचाइजी
500 करोड़ रुपए के मेगा बजट में बनी इस फिल्म के दोनों पार्ट (PS1, PS2) कल्कि कृष्णमूर्ति के मशहूर उपन्यास Ponniyin Selvan पर आधारित है। यह उपन्यास साउथ इंडिया के महान शासक चोल साम्राज्य पर एक काल्पनिक पत्रिका है।
‘Ponniyin Selvan‘ के बताए गए चोल साम्राज्य के शासक अरुलमोजहि वर्मन (Arulmozhi Varman) पुरी दुनिया में चोल राजा (Chola King) के नाम से जाना जाता है। मणिरत्नम के यह फिल्म उसी चोल साम्राज्य पर आधारित है ।
चोल साम्राज्य का इतिहास
भारतीय इतिहास में जब सबसे ज्यादा लंबे समय तक शासन करने वाले राजवंशों का जिक्र होता है तो सबसे ऊपर चोल साम्राज्य राजवंश का नाम सबसे पहले स्थान पर आता है।
चोल राजवंश कावेरी नदी की घाटी पर स्थित थी। ये नदी कर्नाटक, तमिलनाडु और दक्षिणी दक्कन पठार बहती है। चोल राजवंश ने दक्षिण भारत समेत श्रीलंका मलेशिया और थाईलैंड के बड़े हिस्से पर लंबे समय तक राज किया था। साम्राज्य का झंडा अपने शीर्ष दौर में दक्षिण भारत के साथ-साथ मालदीव तक में फहराता था।
चोल राजाओं ने श्रीविजय साम्राज्य से प्रमुख समुद्री व्यापारिक पोस्ट को अपने कब्जे में ले लिया था। इस तरह राजवंश की बादशाहत समुद्र में भी थी। श्रीविजय साम्राज्य वर्तमान में इंडोनेशिया में है। चोल साम्राज्य ने तमिल क्षेत्र में एक समृद्ध विरासत छोड़ी थी।
अपने शासनकाल के दौरान साम्राज्य की पहचान तंजावुर मंदिर, कांस्य मूर्तिकला और अद्भुत कलाकृति रहीं। इस दौरान तमिल साहित्य और कविता का स्वर्ण युग भी देखने को मिला।
चोलों ने कला, धर्म और साहित्य को बहुत महत्व दिया था, कावेरी नदी के तट पर कई शिव मंदिरों का निर्माण हुआ था, साथ में ब्रहदेव मंदिर, राजराजेश्वर मंदिर, गंगईकोंड चोलमपुर मंदिर जैसे चोल मंदिरों ने द्रविड़ वास्तुकला को शिखर तक पहुंचाने का काम किया था।
Author: Mohit Pandey